डोर – रिश्तों का बंधन - 7

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दो साल होने आए थे नयना को विवेक का घर छोड़े, अब तो वह कानूनी रूप से भी विवेक से अलग हो चुकी है। कभी कभी वह सोचने लगती क्या मिला उसे इस शादी से। पांच साल का वैवाहिक जीवन जिसमें खुशी कम और समझौते ज्यादा आए उसके हिस्से और बिना किसी कसूर तलाकशुदा का तमगा। उसका परिवार जरूर इस मुश्किल वक्त में उसके साथ खड़ा रहा पर समाज में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं थी जो उसे ही कसूरवार मानते थे। कुछ तो ऐसे भी थे जो सहानुभूति दिखाने की आड़ में उसका दुख कुरेद कर चल देते थे। इस तलाक की कीमत तो विवेक ने भी काफी बड़ी चुकाई थी, उसने ना सिर्फ प्रकाश खारीवालजी का वरद हस्त खोया था, बल्कि नयना की वकील ने नयना के लिए ऐलीमनी के रूप में जिस रकम की मांग की उसे चुकाने में उसकी सारी जमा पूंजी खर्च हो गई।