तपस्या

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इस कहानी का संक्षिप्त रूप राजस्थान पत्रिका में 2019 में प्रकाशित हो चुका है। तपस्या ‘मौली.... पकौड़े थोड़े और करारे सिकवाओ और थोड़ी चटनी भी और दो इधर।’ मौली के पति राजन ने उसे आवाज लगाई। ‘मम्मा, मुझे पालक के पकौड़े खाने हैं,’ मौली का बेटा बोल पड़ा। हाँ भई मौली, हमारे प्रिंस के लिए पालक के पकौड़े बनवाओ। और हमारी बड़ी लाड़ो की क्या फरमाइश है? ’ ‘मम्मा, मम्मा, मुझे तो आज आपके हाथ का हलुआ खाना है। इतने दिन हो गए, आपने हलुआ नहीं बनाया।’ मौली की बड़ी बेटी नव्या बोल पड़ी। हाँ भई मम्मा, आज तो