मर्दानी आँख

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हलके गुलाबी रंग के कुरते में गहरे रंग की प्रिन्ट दार पाइपिंग से सजी किनारी वाली कुर्ती उसकी गोरी रंगत पर फब रही थी. उसके चेहरे पर मासूमियत की गुन्जायिश तो कम थी लेकिन चालाकी का दंश अभी उसके दिल को पूरी तरह लपेट नहीं पाया था ये उसकी उथली आँखें और उनमें लगा ऑय लाइनर दोनों बखूबी बयां कर रहे थे. हाथों और बाजुओं पर हलके हलके छोटे छोटे रोयें साफ़ नज़र आ रहे थे. जिसका अर्थ था अब जल्दी ही वह वैक्सिंग करवाने जायेगी. दरअसल इस वक़्त उसके दिमाग में यही उधेड़बुन चल रही थी. आज मंगलवार था. दफ्तर से निकलते निकलते सात बज जायेंगे. फिर मेट्रो की धक्का मुक्की, उसके बाद आधा घंटा ऑटो में सिकुड़ के बैठना और आस पास बैठे लोगों के पसीने की गंध को झेलना, उनकी नज़रों से बचना और तब जा कर घर का मुंह देखना नसीब होता था.