दो लघुकथाएं

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लघुकथा1.भस्मासुर - अलख निरंजन!- आ जाइए बाबा पेड़ की छाह में। बाबा के आते ही वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया- आज्ञा महाराज। बाबा ने खटिया पर आसन जमाया। बोले- बच्चा, तेरा चेहरा मुरझाया हुआ है। दुःखी लगते हो। दुख का करण बता, बेटा। चुटकी में दूर कर दूंगा। - एक दुख हो तो बताऊं। दुख का बोझ उठाते-उठाते मैं हंसना-मुस्कुराना सब भूल गया बाबा।- देख बच्चा। दुख से छुटकारा पाना है तो तीन बातों पर अमल कर । तेरी हंसी-खुशी सब वापस आ जाएगी।- कौन सी बातें, महाराज?- पहली बात, तू 'इरखा'( ईर्ष्या) त्याग दे।उसने मन ही मन सोचा, बाबा तो सच में