अधूरी हवस - 10

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(10) दूसरे दिन सुबह मिताली का एसएमएस की जगह फोन ही आ गया राज की आंख मिताली की आवाज से ही खुली, राज ने बिना देखे ही फोन उठा लिया था, मिताली : ओह अभी तक बेड मे पड़े हुवे हो कोई जगाने वाला नहीं है तो कुम्भ कर्ण की तरह पड़े हुवे हो उठो काम पर नहीं जाना, (राज को मिताली की आवाज सुनते ही होठों पे मुस्कान की लहरे दोड़ उठी) राज : क्या बात है इतनी सुबह सुबह सीधा कोल? मिताली : सुबह नहीं है उठो देखो दोपहर होने को आई है, रोज का यह ही टाईम