नाकाम या असहाय प्रशासन

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बात सितम्बर माह की हैं। जब एक 12वी पढ़ने वाली 15 वर्षीय लड़की समाज और परिवार के किसी भी सदस्य से मदद नहीं मिली तो प्रशासन से ही मदद कि एक मात्र आखरी उम्मीद लगा बैठी। उसको लगा अब इस बेरहम समाज में एक मात्र प्रशासन ही है जो मेरा साथी बन सकता है। इसी उम्मीद को लेकर वो बच्ची पाबंद दीवारों को तोड़कर अपने करीबी दोस्त के जरिए। संभागीय जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपने नवजीवन और सपनों की उड़ान के नाम की एक चिट्ठी भेजवा दी।पूरा मा म ला - 15 वर्षीय बच्ची की इच्छा के