टीस .....

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जैसे-2 उपन्यास अपने चरम पर पहुंचता जा रहा था दिव्या लेखक के भावों में डूब उतरा रही थी।वह उपन्यास के पात्रों के साथ रो रही थी,हँस रही थी। कहानी की समाप्ति के साथ नायिका के आँसू उसकी आँखों से बह पड़े।एक तीखा खालीपन उसे विचलित कर उठा।वह देर तक कथानक के प्रवाह में डूबती उतराती रही। शब्दों के कुशल चितेरे, उपन्यासकार आदित्य रॉय की तस्वीर को देखती रही। कितनी सशक्त लेखनी है आदित्य की,क्या उन्होंने भी प्रेम को इतनी ही शिद्दत से महसूस किया होगा ? कैसे मानव मन के एक एक भावों को पकड़ लेते हैं वो ? कितना