साहब

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लघुकथासाहबसाहब राजीव गाँधी के बड़े भक्त थे लेकिन जमाना वी पी सिंह का था।हिंदी अखबार बोल कर बाँचते थे।जो वाक्य समझ न आये बाबुओं से बेहिचक पूछ लेते थे।उनका मुँह लगा और होशियार बाबू मैं था।इसलिए ज़्यादा सवाल मेरे हिस्से आते थे।साहब के एक भाई एरिया के नामी बदमाश थे।एक भाई बड़े गहरे वकील साहब।साहब ने जवानी में अर्थशास्त्र में पढ़ाई की थी,जिसे वे बातचीत में इंकनॉमिक्स कहते थे।लेकिन याद माँग और पूर्ति सिद्धांत के सिवा कुछ न था।कोई अगर उनसे प्राइस थ्योरी के बारे में सवाल कर लेता था तो वे वाक़ई नाराज़ हो जाते थे।अगर कायदे से कोई