सबरीना - 15

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ठंड बढ़ गई थी, बर्फ और तेजी से गिर रही थी। गाड़ी को संभाले रखने के लिए ड्राइवर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी। गाड़ी काफी धीमी गति से आगे बढ़ रही थी। सुशांत भी यही चाह रहा था, गाड़ी धीमी चले। सुशांत नए संदर्भाें के साथ जिंदगी को समझने की कोशिश रहा था। बीते 24 घंटे में उज्बेक धरती पर इतना कुछ देख और सुन लिया था मानो एक पूरी गाथा से होकर गुजरा हो। जीवन के चुनौती भरे और मुश्किल समय में अक्सर सुशांत को अपनी मां की याद आती है। उसके पिता और मां के बीच रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे।