एक रात भानगढ़ के किले मे

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मैं और मेरा दोस्त अमित बचपन से ही रात में बिना कहानियों को सुने हुए सोते नही थे। पिता जी हमको कहानिया सुनाते थे और अमित अपने घर को चला जाता था हमे भी कहानियों में दिलचस्पी दिन प्रति दिन बढ़ती चली जा रही थी। हम सुबह को उठकर रात वाली कहानी के बारे में सोंचते। हम कहानियों में इतना विलीन स हो जाते थे।कि हम उन कहानियों में अपने खुद के किरदार को पाने का एहसास करते थे।शनिवार की रात को पिता जी ने भानगढ़ की एक डरावनी सी कहानी सुनाई।वो बहुत डरावनी थी , उसको सुनने के बाद