फ़ैसला - 14 - अंतिम भाग

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फ़ैसला (14) आज शायद इस मुकदमे का आखिरी दिन हो। यही बैठे-बैठे कमरें मंे सिद्धेश सोच ही रहा था कि अचानक उसका मोबाइल बजा। उसने उठाकर देखा तो डा. के.डी. लाइन पर थे। हैलो ! डा. साहब! सिद्धेश बोल पड़ा। हां-हां! सिद्धेश मैं डा. के.डी. बोल रहा हूं और बताइये क्या हाल हैं। सुगन्धा कैसी है। वह ठीक तो है ना। अरे डाक्टर साहब! सब ठीक है और सुगन्धा भी। अब तो उसका केस भी आपके सहयोग के कारण निर्णायक स्थिति में आ गया है। आज ही तो उसका फैसला होना है। देखो क्या होता है। सिद्धेश ने कहा। होना