अन्दर का आदमी

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अन्दर का आदमी वह नमस्कार के बाद चुपचाप जाकर कुर्सी पर बैठ गया । उसने देखा कि निर्मला उसे देखकर बिल्कुल सामान्य रही । ना खुश हुई, ना ही चेहरे पर कोई असामान्य भाव आया । बस रसोई से जाकर एक पानी का गिलास भरकर उसके सामने रख दिया और पुनः रसोई में जाकर सब्ज़ी काटने लगी । उसने चारों कमरों में झांका, किसी भी कमरे में कोई नहीं था । एक बार तो उसे यूं अकेले मंे आना बुरा लगा, मगर यह सोचकर खुद को आश्वस्त करने लगा कि उसे क्या पता था कि निर्मला घर में अकेली होगी