विवेक और 41 मिनिट - 5

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विवेक और 41 मिनिट.......... तमिल लेखक राजेश कुमार हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा संपादक रितु वर्मा अध्याय 5 सुंदर पांडियन चौंक गए “क्या विपरीत हुआ ?” “आपके कार ड्राइवर का नाम दुरैमाणिकम है क्या ?” “हाँ” “आपके पास तीस सालों से वह ड्राइवर है ?” “हाँ” “उस ड्राइवर दुरैमाणिकम का अपहरण होकर अब वह उनके कब्जे में है आप उनकी बातों को नहीं माने तो दुरैमाणिकम जिंदा नहीं बचेगा एक विश्वास पात्र ड्राइवर की बलि चढ़ाना या नहीं चढ़ाना आपके हाथ में ही है ऐसा बोल रहें है.......... केसेट को आपके घर में लाकर बजा कर बताऊँ............?”