अतृप्त आत्मा - 3 - अंतिम भाग

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वो चुड़ैल अपनी भयानक शक्ल लिए मेरे सामने खड़ी थी , और डर के मारे मेरी घिग्घी बंधी हुई थी न तो मैं आगे बढ़ पा रही थी न ही पीछे , कहते है न की डर में भी एक सम्मोहन होता है। मैं अपनी सारी इच्छा शक्ति को समेट के आगे बढ़ी बस एक छोटा सा कदम आगे रखा , और फिर चुड़ैल को देखा उसने कोई हरकत नही की , मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ी मैंने एक कदम और आगे बढ़ाया और मेरे कदम बढ़ाते ही चुड़ैल गायब हो गयी अब मुझे थोड़ी हिम्मत और बढ़ी और मैं हॉल