ग़ज़ल, शेर - 3

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मिले तो होगी फ़िर वोही बात जुदाई किइससे अच्छा हैं ये दिन ऐसे ही बसर होने दें।___Rajdeep Kotaदेर तक रात में करवटें बदलना याद हैंहमें अब तक वो वाकियात याद हैं।___Rajdeep Kotaदेर तक रात में करवटें बदलना याद हैंहमें अब तक वो वाकियात याद हैं।___Rajdeep Kotaअब वोही पुराने ज़ख्म ताजियाना क्यों करें।इश्क़ के दरख़्त पे नया आशियाना क्यों करें।___Rajdeep Kotaजब ये लालिमा कालिमा मैं तब्दील हो जाएं।ऐसा न हो की फ़िर मिलना मुश्किल हो जाएं।___Rajdeep Kotaअब हमने भी गवाई है एक ज़िन्दगी इंतज़ार में किसि केयारों हमारी भी कोई खबर लो।___Rajdeep Kotaकुछ भी हो जाएंमुंह मत फेरना ईमान सेनिवाला ठुकरा