नीला आकाश - 2

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नीला आकाश (2) "क्या नाम है तुम्हारा?" "जी, नी...ला" झिझकते हुए धीरे से कहा उसने। "आओ बैठो।" वह सिकुड़ी-सी पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी। "तुम्हें इस तरह शर्माते हुए देखकर मुझे आश्चर्य हो रहा है।" "..." वह चुप रही। इस पेशे के लोग और शर्म! किताबों, अखबारों में कई बार किस्से पढ़े- सुने थे, फिल्मों में कई बार देखा भी था, उसके दिमाग में सैक्स वर्कर की जो छवि बनी हुई थी वो एक बिन्दास औरत की ही थी। यहाँ तो सब उल्टा-पुल्टा हो रहा था। पहली बार तो वह आया था यहाँ, शर्माना तो उसे चाहिए था। "तुम