नीला आकाश - 3 - अंतिम भाग

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नीला आकाश (3) "तुझे नहीं लगता, तू एक ऐसी लड़की से प्यार करने लगा है जिसे न समाज न तेरे घरवाले कभी अपनायेंगे, ऐसा कर कुछ दिन उधर की तरफ मत जा, सारा प्यार का भूत उतर जायेगा?" विवेक को आने वाले कल की सुगबुगाहट महसूस हो रही थी। "यार, मज़ाक मत कर, हैल्प कर सकता हो तो बता।" "सोचना पड़ेगा, काम तो बहुत टेढ़ा है। मेरा कौन-सा पाला पड़ा है ऐसी परिस्थिति से। मैं तो खुद कभी-कभी मौज मनाने के इरादे से ही गया हूँ वहाँ। पर तूने तो हद ही पार कर दी। मेरे सामने तो उस दिन