इंसानियत

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यह प्रसंग मेरे बाल्यकाल की एक सच्ची घटना पर आधारित है। मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता था। मैंने उत्तरप्रदेश पॉलिटेक्निक संयुक्त प्रवेश परीक्षा हेतु आवेदन किया था। मैं घर से बाहर रहकर पढ़रहा था। पॉलिटेक्निक संयुक्त प्रवेश परीक्षा में आवेदन के बाद परीक्षा तिथि तय हो गयी थी। मैं घर से दूर अकेला ही मामा जी के दोस्त के साथ पढ़ रहा था। परीक्षा वाले दिन उनका भी एग्जाम था। अब मैं बहुत असहज था कि मेरे साथ कौन जाएगा। परीक्षा केंद्र समय से मिलेगा भी या नही। मैं पहुँच भी पाऊंगा कि नहीं। कैसे जाऊँगा?