अकल्पित

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अाने को तो वह गाँव आ गये थे, पर मन बिल्कुल झल्लाया हुआ था । अक्सर वो इस बात का लेखा जोखा करते रहे हैं कि माँ बाप का विरोध करके, जवानी में, ये पढ़ी लिखी पत्नी लाने का निर्णय कर के उन्होंने सही किया था या गलत ... कि अगर अनपढ़ रही होती तो उनकी हर बात को आज्ञा की तरह मानती, थोड़ा साड़ी गहना पा के खुश हो जाती न कि इस तरह, अजनबी सी ठंडी आवाज में फोन करके गाँव आने का दबाव बनाती और उनको अपना इतना व्यस्त कार्यक्रम, यहाँ तक कि दिल्ली जाकर पी एम