ढीठ मुस्कुराहटें... - 2 - अंतिम भाग

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ढीठ मुस्कुराहटें... ज़किया ज़ुबैरी (2) “अरे भाभी जी, आप!.. नमस्ते।” रानी को बैठक की ओर आते हुए देख कर इन्सपेक्टर खड़ा हो गया। “अच्छा सर जी मैं चला; रिपोर्ट देता रहूंगा।” रानी ने चेहरे पर मुस्कुराहट लाए बिना नमस्ते का एक सपाट सा जवाब दिया और सर जी के हाथ में घर का फ़ोन थमाते हुए कहा, “लीजिये, आपके मैनेजर का फ़ोन है। ” पति देव ने फ़ोन हाथ में लेते हुए अपना आदेश भी सुना दिया, “रानी, नाश्ता लगवा दो आज बैंक जल्दी जाना है। ” “आपको तो रोज़ ही जल्दी जाना होता है और देर से वापिस आना