लॉकडाउन

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आज इंटों के मकान में कैद हुआ तो ख्याल आया,क्यों चहकना भूल जाते हैं परिंदे पिंजरे की कैद में!!दोस्तों! आज कोरोना महामारी के तहत मुल्क के यह हालात हैं कि हम सब लोग अपने ही घरों में कैद हैं। आज़ाद हो कर भी आज़ाद नहीं हैं। घर मे सभी के साथ बैठे हैं, लेकिन वो खुशी और वो रौनक नहीं है चेहरे पर। अपनो के साथ हो कर भी अपनेपन का अहसास नहीं है। अजीब घुटन सी है माहौल में। बच्चे पहली बार अपने घर के सभी मेंबर्स के साथ रूबरू हैं। इसी कशमकश में क्वारंटिन में बैठा कुछ सोच