आघात - 25

(11)
  • 5.3k
  • 1
  • 1.2k

आघात डॉ. कविता त्यागी 25 रात-भर तथा अगले दिन भी पूजा सोचती रही कि वह रणवीर से अपनी शंका प्रकट करे ? या न करे ? करे तो किस प्रकार करे ? कि साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे ! दो दिन-रात ऊहापोह में बीत गये । तीसरे दिन रणवीर बहुत सवेरे घर से निकल गया। उसने घर पर नाश्ता भी नहीं किया था और रात में लगभग साढे़ दस बजे घर पर लौटा । उस रात पूजा के धैर्य का बाँध टूट गया । उसे संदेह था कि दिन-भर रणवीर ने वाणी के साथ समय बिताया