आत्मा अमरधर्मा

  • 3.4k
  • 771

आत्मा अमरधर्मा श्री आर. आर सिंघई 85 वर्ष वन विभाग से सेवानिवृत्त है। उन्होंने जैन धर्म, सनातन धर्म, भक्ति साहित्य के साथ, अंग्रेजी साहित्य का भी गहन अध्ययन किया है। उनका व्यक्ति, परिवार और समाज के नैतिक उन्नयन पर चितंन एवं प्रयास अनुकरणीय है। उनका चिंतन है कि 85 वर्ष की आयु पार कर लेने के बाद अब ना जाने कितनी सांसे और बची है। वह किसी भी घंटे, सेंकेंड पर मृत्यु को प्राप्त हो सकते है किंतु मृत्यु का यह रहस्य आज तक किसी को ज्ञात नही हो सका है। शरीर मरण धर्मा है और आत्मा अमर है