तुम याद आते हो

  • 5.5k
  • 1.7k

मौसम अपने पूरे शबाब पर था, बारिश भी रुक रुक कर हो रही थी। खिड़की पर खड़ी आहना खिड़की की कांच पर गिरते बारिश की बूँदों को ध्यान से देख रही थी। ये मौसम जिसे आदित्य " रोमांस का स्टार्टर " कहते थे उसके लिए अब उस पसन्दीदा डिश की तरह था जिसे बीमार होने पर त्याग देना होता है। हां आज फिर आदित्य की याद उतनी ही जोरों से आ रही थी। यूं तो पिछले सोलह सालो में कभी एक पल के लिए भूली नहीं होगी तभी तो यादो को छोड़ आगे भी तो नहीं बढ़ पाई जैसे इसी