बिखरते सपने - 10 - अंतिम भाग

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बिखरते सपने (10) ‘‘बेटा, तुम रोज छत पर खड़ी होकर मुन्ना का खेल देखती हो, तो क्या तुम्हें खेल देखना अच्छा लगता है...?’’ ‘‘जी, जब मुन्ना को बैडमिन्टन खेलते हुए देखती हूं तो मेरा भी मन करता है कि मैं भी खेलूं, लेकिन....।’’ ‘‘लेकिन क्या...?’’ ‘‘अंकल, दीदी को बैडमिन्टन खेलना बहुत पसंद है, लेकिन पापा दीदी को खेलने के लिए मना करते हैं। उनका कहना है कि दीदी लड़की है, और लड़कियों को खेलने-कूदने की बजाय घर के कामों में ध्यान देना चाहिए। पापा ने मुझसे भी कह रखा है कि अगर दीदी कभी मेरे साथ खेले तो मैं पापा