आत्म रक्षा

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मूसलाधार बारिश । सुनसान रास्ता । आज ऑफिस में मीटिंग देर तक चली थी । शुभ्रा जब ऑफिस से निकली थी तो हल्की बूंदाबांदी हो रही थी ।अपने भीने केश एक साथ लपेटते हुए वह गाड़ी में बैठ गई । माँ को फोन लगा उन्हें परिस्थिति से अवगत करने के पश्चात गाड़ी को रफ्तार दे दी। मगर उसे क्या पता था ! बेवफ़ा गाड़ी बीच राह में धोखा दे देगी। कुछ पल विचारने के पश्चात उसने पर्स से मोबाइल निकाला । नम्बर डायल कर माँ को सूचित करने ही जा रही थी कि अचानक मोबाइल मियाँ की बैटरी भी उसका