मैं गणेश बोल रहा हूँ ...

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सड़क किनारे बैंड बाजे और डी जे के शोरगुल के बीच गणपति विसर्जन के बाद थके हारे लोग अपने अपने घर पर सुहाने सपनों की दुनिया में खोये हुए थे ।नाचना गाना तो मेरे बस का नहीं था लेकिन देर रात तक देव दर्शन की आस लिए सडकों पर खड़े खड़े ही थक गया था ।मेरे साथ मेरा पांच वर्षीय पौत्र निर्भय भी था । सभी नाचते गाते बैंड बाजे और आतिशबाजी करते विसर्जन के लिए आगे बढ़ रहे थे ।एक दल डी जे की धून पर नाचते गाते आगे बढ़ रहा था । निर्भय जो अब तक शांत होकर