आघात - 45

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आघात डॉ. कविता त्यागी 45 पूजा सोच रही थी - ‘‘मैंने बेटों के प्रति अपने दायित्व का पूर्ण निर्वाह करते हुए इन्हें सुयोग्य नागरिक बना दिया है ! अब ये जैसा चाहें, अपने विचारों के अनुरुप जीवन जिएँ ! मुझे इनके किसी भी विषय में हस्तक्षेप की सीमा पार नहीं करनी चाहिए ! आज मैं आत्मनिर्भर हूँ ! मुझे अपने लिए किसी की आवश्यकता नहीं है ! न रणवीर की है, बच्चों की ! आज तक विवाह-विच्छेद न हो, इसके लिए प्रयास करने का कारण भी मेरा स्वंय का स्वार्थ नहीं था ! अपने बच्चों के हितार्थ ही तो मैंने