एक सीप में तीन लड़कियाँ रहती थीं

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एक सीप में तीन लड़कियाँ रहती थीं (कहानी - पंकज सुबीर) अगर ये कोई प्रेम कहानी होती तो शायद इसकी शुरूआत कुछ ऐसे होती ‘‘हरी भरी पहाड़ी से झरते हुए झरने के ठीक पास, फूलों से भरे मैदान में बने हुए छोटे से मकान में रहती थी वो तीनों लड़कियाँ’’। अगर ये कोई यथार्थवादी टाइप की कहानी होती तो इसकी शुरूआत कुछ ऐसे होती ‘‘बजबजाते हुए नाले के पास कारखाने की धुंआ उगलती चिमनी के धुंए में डूबी झुग्गी बस्ती में अपनी टूटी फूटी झोंपड़ी में रहती थी वो तीनों लड़कियाँ’’। अगर ये आधुनिक कहानी होती तो शायद कुछ ऐसे