बिरयानी

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"मां आप बिरयानी कब बनाओगे" हर रविवार की तरह इस रविवार को भी कुशल ने अपनी मां को वो ही सवाल पूछा। "अभी रुको, शायद अगले रविवार को बनाएंगे" उसे जवाब पता ही था। उसे याद आया कुछ साल पहले तक जब उसने स्कूल जाना भी शुरू नहीं किया था, उसकी ज़िन्दगी में मजे ही मजे थे। हर रविवार को बिरयानी बनती थी। घर में मिठाईयां आती थी। पिताजी कभी कभी उसे खर्च करने के लिए रुपया दो रुपए भी दे देते थे मां बाप का अकेला लाडला लड़का जो था वो। फिर उसकी बहन आई और मां बाप का