विकलांग मन

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लगातार दूसरी बार नमन आठवीं में फेल हो गया। उसके पापा ने उसकी डंडे से पिटाई की । माँ ने भी लाड नहीं दिखाया । "पापा बात नहीं समझते, आख़िर मैं पढ़ ही नहीं सकता तो पढ़ाई छुड़वा क्यों नहीं देते । एक साल घूम-फिर लूँ, फिर पापा की कपड़ो की दुकान संभाल लूँगा, बस इतनी सी बात तो है, पापा फालतू में ही स्कूल और ट्यूशन पर इतने पैसे लगा रहे हैं।" बिस्तर पर लेटते हुए नमन ने मन ही मन सोचा। वही साथ वाले कमरे से माँ की आवाज़ें आ रही थीं जिसे नमन दीवार पर कान लगाकर बड़ी ध्यान से सुन रहा था । "सुनो जी