वो पता

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वो पतासाल २००० , जिंदगी का वह पहला सफ़र जब वो और सृष्टि पहुंचे थे मुंबई करीब ८ बजे संध्या। हां , मुंबई के लिए वो संध्या ही था, जिसे छोटे शहर वाले रात कहते हैं। मामा आने वाले थे लेने के लिए। स्टेशन पर गाड़ी में बिठाते हुए कितनी सारी हिदायतें दी गई थी दोनों को - किसी से ज्यादा घुलना - मिलना नहीं, खाना या पानी मत लेना दूसरे से। मामा से मिलते ही फोन करना। दोनों इतने खुश थे और समझ रहे थे कि मम्मी की नजर में अभी भी वो छोटे हैं पर वास्तव में तो बहुत