उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-6

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राजधानी:-सुबह-सुबह प्रथम तैयार हो कर बस में बैठा और निकल गया, अपने नवजीवन के सफर पर।रायपुर बस स्टैण्ड पहुँचकर उसने रिक्शा लिया और पहुँच गया मयंक के पास।सुंदर नगर के पास रोड पर ही किसी श्रीवास्तव जी के मकान में मयंक ने एक रूम किराये पर ले रखा था। तीन और परिवार उस घर में किराए में रहते थे और सभी के लिए एक ही टाॅयलेट और एक ही बाथरूम था।अरे आइये सर आपका स्वागत है। मयंक ने बोला।मयंक कैसे हो भाई ? प्रथम ने कहा।ठीक हूँ सर, आप कैसे हैं ?बढ़िया हूँ। बस तुम्हारे साथ जीवन से लड़ने मैं