कहानी एक घूँट भंग -राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, जब कोई अपनी चाहत की वस्तु पा जाता है, तब वह उसके उपयोग में तन-मन से जुट जाता है। हेमन्त की निजी डायरी पाकर जैसे रेखा की दिली मुराद पूरी हो गई। यह अत्यन्त प्रफुल्लता व जिज्ञासा पूर्वक उसे पढ़ने में तल्लीन हो गई......। ........मैं वह दिन नहीं भूल