वो दीवानगी

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वो दौर ही कुछ और था। फिजाओं में प्रेम खुशबु की तरह यूँ फैलता था कि बिन बताये चेहरे की चमक देख दोस्त जान जाए कि ये प्यार में है। सच 1999 की बात ही और थी। मीरा यौवन की दहलीज पर खड़ी अपनी प्रिय सखी प्राची का इन्तेज़ार कॉलेज के गेट पर बेताबी से करती। प्राची जो उसकी हर राज की राज़दार थी से हर सुख दुख की साथी।प्राची के आते ही मीरा लिपट गई।" कहाँ थी तू यार? कब से तेरी राह देख रही थी"" हाँ हाँ मैंने तो कॉलेज जॉइन ही तेरे खातिर किया है, एक काम