लेखाजोखा

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हवा में ठंडक आने से कुछ देर आँगन में किताब पढ़ना शुरू किया. हवा तेज चलने पर कमरे के भीतर चला आया, क्योंकी निर्मल वर्मा के शब्दों को इस शोर में पढ़ना संभव नहीं. आसमान में दोपहर से धुप और बादल के बीच रेस चल रही थी की कौन दिन के अंत में पहले पहुंचेगा इसलिए कभी बादल धुप को छिपाकर आगे हो जाता तो धुप बादलों को छोड़कर दूर निकल लाता. हवा तेज होने से कमरे के दीवाल पर लटके हुए समान उसी वेग में उड़ने लगे थे. सभी को स्थिर जगह पर रखकर. दरवाजा बंदकर फिर पढ़ने शुरू