पूजा (लघुकथा) : हिन्दी जुड़वाँ - पूजा

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पूजा (लघुकथा) मेरा साठवां जन्मदिन था । बड़ा उत्साह का माहौल था। चारों तरफ खड़े मेरे बेटे बहू, मेरे लिए बड़े गर्व की बात थी कि सब ने बहुत बड़ा इंतजाम किया। मुझे शुभकामनाएं देने मेरे कई मित्र गण भी उपस्थित हो रहे थे। बच्चों ने शाम पूजा के समय मेरा जन्म दिवस मनाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। एक बड़ा सा चॉकलेटी केक मेरे सामने रखा गया। मैं हमेशा की तरह देख कर बहुत खुश हुई। बड़े बड़े अक्षरों में अंग्रेजी में मेरा नाम लिखा हुआ था। खुशी का माहौल था। मुझे केक काटने के लिए कहा गया।