जामुन वाली अम्मा

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जामुन वाली अम्मा बहुत समय से मैं अपने पापा के साथ रविवार को छोड़कर रोज सुबह की सैर पर जाती थी हमारे सैर पर जाने के लिए हमने दो रास्ते तय किए थे जिसमें एक रास्ता जामुन वाली अम्मा के घर तक जाता था दूसरा रास्ता पहाड़ी के मंदिर तक वह मंदिर बहुत सुंदर था । मंदिर के द्वार पर मार्बल के दो हाथी मंदिर की रखवाली करते थे । जिस दिन मंदिर जाती है उसके दूसरे दिन जामुन वाली अम्मा से मिलने जाती दरअसल मैं अपने पापा के साथ पहाड़ी के मंदिर के रास्ते के ऑपोजिट मैदान वाले रास्ते से