औरतें रोती नहीं - 20

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औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 20 आवारा नदी के घाट नहीं होते तीन जिंदगियां: जून 2007 एक उमस भरी दोपहरी को ठंडाने में जुटी थीं वे तीनों। जून महीने की शुरुआत थी। सुबह सात बजे से गर्म हवा चलने लगी थी। ऐसा मौसम कि मन डूबने लगे, तन तपने लगे और दुनिया वीरान लगे। लेकिन उज्ज्वला ने सुबह-सुबह ही कह दिया था, ‘‘गर्मी को लेकर कोई शिकायत नहीं करेगा। पानी की कमी है। बस एक बार नहा सकती हो। घर में ए.सी. नहीं है। दस बजे के बाद कूलर चला दूंगी। नाश्ते में वेजीटेबल उपमा और मट्ठा दे रही