जागो

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#जागोकाई से लेकर सरीसृप तक और फिर सरीसृप से मनुष्य तक का चेतना का सफर किन किन आयामो से होकर गुज़रा होगा ये तो मात्र अनुमान ही लगाया जा सकता है मगर ये बात तय है कि मनुष्य शरीर एक ऐसा पड़ाव है जहाँ पहुँच कर एक प्रकार का ठहराव आया जब पहली बार चेतना को स्वयं का होना अनुभव हुआ पहली बार किसी पदार्थ में बोध उत्पन्न हुआ और उत्पन्न हुई जिज्ञासा या मुमुक्षा ,ब्रह्मांड को जानने की मगर हुआ ये की विरले ही जान पाए और जिन्होंने भी जाना वो कह गए कि उसे जाना नही जा सकता