तुमसे जुदा होकर

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"तुम चली जाओ जहां जाना है, ये रोज रोज की धमकियां मुझे नहीं सुनना समझी! मैं कर लूँगा सब|"आरव ने अदिति को दो टूक बोल दिया। ऑफिस का टेंशन, ऊपर से छह महीनों से रिश्तों में भरी कड़वाहट। ऐसे रिश्ते किस काम के जो तकलीफ दे। खाना वो रेस्तरां से मंगा लेगा पर अदिति के साथ और नहीं रह सकता है।अदिति को भी आरव की बात गोली की तरह लगी। मायके जाने की धमकी पर "मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा?" के बदले ये सुनने को मिलेगा ये आशा नहीं थी। "ठीक है ना मुझे कौन सा शौक है यहां चूल्हे