उस एक सुबह के बाद

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रमा सारे काम निपटा कर बैठी ही थी कि मोबाइल बज उठा..स्क्रीन पर विटिया दीपाली का नम्बर चमक रहा था..हौले से फोन उठाया"हां बेटा..! हलो..""मम्मी अखिलेश अंकल को कल तक रोंकना, मैं कल आ रही हूँ""पर बेटा उन्हें तमाम काम होते हैं.. काहे रुकेंगे वे""मम्मी प्लीज किसी तरह रोंकना..बहुत जरूरी काम है" कहकर दीपाली ने फोन काट दिया था..'बेचारे कब तक वे मेरी जिम्मेदारियों को ढोते रहेंगे' रमा मन ही मन बुदबुदायी थीएक खूबसूरत जवान महिला को आस-पड़ोस से संवेदना तो बहुत मिलती है पर उस संवेदना में अपनत्व की जगह छल की मात्रा अधिक होती है..रमा ने ढेर सारी