औरतें रोती नहीं - 22

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औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 22 अपने घर में किसी दूसरे का घर कुछ इस तरह की जिंदगी रही तीनों औरतों की: सितम्बर 2010 आमना सैयद के लिए पूरा दिन बहुत तनाव भरा था। सुबह से अपना भारी किट बैग उठाकर निकल पड़ी थी वह एक अदद किराए का फ्लैट ढूंढने। बस महीने भर के लिए। बहुत हो तो दो महीने के लिए। कहीं एक कमरा नहीं मिल रहा। दोपहर को सड़क किनारे खड़े होकर उसने छोटे-कुलचे खाए। वहीं से मिनरल वॉटर की छोटी बोतल खरीद दो घूंट मार लिए। अब क्या? वापस? उसने बेमन से मोबाइल घुमाया। दूसरी