प्रेम की पुनरावृत्ति

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रूपा जी,उठिए सुबह हो गई , तैयार हो जाइए, जल्दी से बगल वाले बिस्तर से उठती हुई लक्ष्मी जी बोली। उफ़ ये जोड़ों का दर्द, जल्दी से उठा भी तो नहीं जाता, बुढ़ापे में तो सभी बोझ समझने लगते है, इसलिए लाके पटक दिया वृद्धाश्रम में,अब बुढ़िया मरे या जिए किसे मतलब है,लक्ष्मी जी बड़बड़ाते हुए उठी। क्यो,क्या बात है? रूपा जी ने पूछा। अरे,आज रविवार है ना,आज के दिन इस वृद्धाश्रम के मालिक राजनाथ जी आते हैं और हम सब से हमारी समस्याएं पूछकर उनका निवारण करते हैं,लक्ष्मी जी बोली। मुझे तो कुछ पता नहीं, मैं तो कल ही