उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-10

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फिर वो लोग निकल गए।महीने का आखिरी दिन था।सुनो जी सिलेण्डर खत्म हो गया। नया लाओगे तभी कुछ बन पायेगा। अनु ने कहा अच्छा ठीक है मैं दूसरा भरवा कर लाता हूँ।प्रथम ने पर्स निकाला और देखा कि उसमे तो सिर्फ 200 रूपये थे। जबकि सिलेण्डर 450 रूपए में आता था। बैंक अकाऊँट में भी पैंसे नहीं थे।कुछ मंगवा कर खा ले क्या अनु। प्रथम ने पूछा।क्यो? सिलेण्डर लाने में क्या दिक्कत है।दिक्कत है ना, मेरे पास पैसे नहीं है। प्रथम थोड़ा उदास होते हुए बोला। और फिर कहाकल मिल जाएगी तनख्वाह तो कल ले आऊँगा सिलेण्डर।क्या गारंटी है कि आपकी