तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... - 12 - बारिश की बूंदें

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सुबह जब आंखें खुली तो देखा मम्मी चाय पी रही थी। अभी एक पूरे दिन की यात्रा शेष थी। रात्रि ८बजे के करीब ट्रेन पहुंचेगी भुवनेश्वर। बिहार से निकल कर हम पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर चुके थे और उड़ीसा आना बाकी था अभी। देश के इस हिस्से की ट्रेन खाली - खाली सी थी और नोन एसी होने के बावजूद साफ सुथरी भी। वैसे भी रेल यात्रा मुझे बहुत पसंद है खास कर खुली खिड़की वाली - लगता है उस जगह को, उसकी धरती को, हवा को -आप महसूस कर रहे हों। और जगह - जगह पर चढ़ते स्थान