बीड़ी

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खेत पर गेंहू में पानी चल रहा था और मैं किनारे पर बैठकर जहां कल पाइप का मुंह रखा हुआ था वहां की भुरभुरी मिट्टी से खेल रहा था।उस समय मेरी उम्र लगभग आठ या नौ वर्ष की रही होगी। उस उम्र में हर चीज में एक नयापन और परत दर परत नए नए कौतूहल नजर आते थे। खेत के अंदर से फसलों को पानी देकर काका जैसे ही बाहर आए उन्होंने मेरे हाथ में दस रुपए देते हुए कहा कि... "ये ले शाम को आए तो मेरे लिए बीड़ी लेते आना, आज रातभर यहीं रहकर सिंचाई करनी है, दो