तुम बिन

  • 7k
  • 1
  • 1.7k

"तुम बिन मैं कुछ नहीं, जग लगे बेकार जो तू नहीं" गुनगुनाते हुए प्रीति खाना बना रही थी। दूर बैठा हिमांशु उसे घूरे जा रहा था। उसे प्रीति की हर बात पर प्यार आता था। शादी को कुछ ही महीने हुए थे। प्रीति और हिमांशु की अरेंज मैरिज थी, इसलिए अभी धीरे धीरे एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे।प्रीति हिमांशु के कहने पर भी उसकी मदद नहीं लेती थी किचन में, बस हर समय अपना फोन जरूर साथ लिए घूमती थी। कभी कभी उसे गुस्सा भी आता कि उसकी नई नवेली बीवी के साथ फोन ही चिपका