सलाखों के पीछे

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आज बोहोत दिनों बाद, सुकून से सोऊंगा,आज बड़े दिनों बाद, अच्छी नींद आएगी।जेल में वो सुकून कहां?सलाखों के पीछे वो आराम कहां?एक ऐसी बात के लिए अंदर हुआ था,जिसमे कुसूर मेरा था भी, और नहीं भी।वक़्त पर मूं न खोलने की, और चुप रहने कीआज बोहोत बड़ी क़ीमत चुका रहा था।अस्पताल कोई और पोहोंच गया था,हत्या किसी और ने की थी।मैने तो सिर्फ उसे मारते हुए देखा था,समय पर सच छुपाने की मुझे सझा मिली थी।जब तहकीकात हुई,और बात जांच पड़ताल तक पोहंची,तब जाके समझ में आयायह मैने क्या कर दिया?हमें किसी से क्या लेना देना?क्यों किसी के लफड़े में