एक बूँद इश्क - 15

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एक बूँद इश्क (15) आज सुबह-सुबह परेश के फोन की घण्टी बज उठी। गणेश का फोन है- "शाब, रीमा बिटिया कैशी हैं? जब शे गयीं हैं कोई खबर ही नही..हम शब को बहुत याद आती हैं उनकी" गणेश के फोन में न जाने ऐसा क्या है जिसने उसके शरीर में ऊर्जा का संचार कर दिया - "हैलो गणेश...गणेश दादा, कैसे हैं आप? अच्छा लगा आपकी आवाज़ सुन कर....हाँ दादा, रीमा ठीक ही है, अच्छा तो नही कहूँगा।" "क्या बात है शाब? बिटिया ....ठीक तो है न? हमने शंकोच में फोन नही किया..इन्तजार करते रहे, जब बिटिया ने शुध नही ली